एहि ब्लागक कोनो सामग्री केर अव्यावसायिक आ दुर्भावना सँ रहित उपयोग करबा मे कोनो हर्ज नहि अछि । शर्त एतबै जे स्रोतक आ रचनाकारक स्पष्ट उल्लेख करी । तरूण निकेतनक पता पर अथवा ई-मेल पता-tarunniketan@gmail.comपर एकर सूचना अवश्य पठा दी । कोनो सामग्रीक उपयोग जाहि रूप मे भेल होई से पठा सकी तँ नीक लागत ।

Wednesday, January 4, 2017

नव वर्षक शुभकामना आ किछु आवश्यक समाद

दिन-दिन निघटि बंधुवर क्रमशः सोलह भेल व्यतीत 
वर्तमान छल जे कहियो से सम्प्रति भेल अतीत ।
नव नव किछु संदेश संग ल' सत्रह आबि तुलायल
लागय शिशिर गेल हो धरती पर बसंत जनु आयल ।।
ली संकल्प आइ ई मन मे राखि अटल विश्वास
आगू बढी सफल जीवन हित प्रतिपल करी प्रयास ।
एहि मंगलमय बेला मे अछि हमर ढेर शुभकाम
सदति पूर्ण हो बंधु अहाँके चिर संचित मनकाम ।।

आदरणीय बंधु लोकनि, सादर नमस्कार । वर्ष 2017क पदार्पणक संगहि, समय अपन पुरान केंचुआक छोड़ि, नव स्वरुप ग्रहण केलक अछि । जेना धरतीक कण-कण मे, एकटा नव उर्जाक संचार भेल हो । आबी, हमरो लोकनि, ओहि उर्जाक सदुपयोग क’, मैथिलीक उन्नयनक लेल किछु एहेन करी, जाहि सँ हमरा लोकनिक वर्तमान, भविष्य मे चलि, एकटा एहेन इतिहास गढ़य, जे अविस्मरणीय हो ।

भाय, हम क्षमाप्रार्थी छी, एहि लेल, जे वर्ष 2016क पूर्वार्ध मे, 'भारती मंडन'क प्रकाशनक हित लेल गेल संकल्प, एहि वर्षक उत्तरार्धक समाप्तियो धरि प्रकाशनक बाट तकिते रहि गेल, ओना एहि लेल दोषी के, एकर निर्णय करब कठिन अछि । मैथिली साहित्यक अनेकानेक मूर्धन्य विद्वान, आब हमरा लोकनिक बीचसँ चलि बसल छथि । आजुक नवतुर मे अपन मातृभाषाक प्रति अनुरागक अभावक कारणें मैथिलीमे नव प्रतिभाक अंकुरण सम्प्रति अल्पप्राय अछि । एहेन स्थिति मे 'भारती मंडन'क स्तरक निर्वहन करबामे तदनरूप रचनाक अभाव, जीबाक लेल जीविकाक निर्वहन, संपादकक समयाभाव, संगहि विगत मे पंचायत चुनाव आ 8 नबंबर 2016 सँ नोटबंदीक संक्रमण काल, सब मिलि केँ ‘भारती मंडन’क प्रकाशनक अवधि केँ आगूक दिस ठेलैत गेल । 

मुदा आब अधिक नहि, फरवरी 2017 मे आयोजित होमय जा रहल पटनाक मैथिली लिट्रेचर फेस्टिवलक अवसर पर सुनिश्चित रूपसँ 'भारती मंडन'क विमोचन होयत, से अपना दिस सँ समस्त मैथिली साहित्यानुरागी बंधुकेँ आश्वस्त करैत छी । ताहि संगहि मैथिल युवा रचनाकार लोकनि सँ निवेदन, जे ओ लोकनि संकल्प लेथि जे विश्व साहित्यक अध्ययन ओ चिंतनक संगहि, अपन संस्कृति ओ सभ्यताक संतुलन राखि साहित्यक संरचना दिस उन्मुख होथि, जाहिसँ भविष्यमे पुरोधा साहित्यकार लोकनिक अभावक पूर्ति संभव भ' सकय ।  एहि लेल 'भारती मंडन'क 'अबैत लोक' स्तम्भक लेल अपने लोकनिक रचनाक प्रतीक्षा रहत । ताबत एतबै ।

अपने लोकनिक स्नेह आ सहयोगक आकांक्षी
तारानन्द झा ‘तरुण’
संस्थापक-सह-प्रबंधक
'भारती-मंडन'
कामाख्या झिंगुर साहित्य कला परिषद, मलाढ़

No comments:

Post a Comment